चाणक्य नीति - आठवां अध्याय | Chanakya Neeti in Hindi 8th chapter
01).
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Chanakya Neeti in Hindi |
" नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है
मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत
लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है
क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है "
" The low class people want wealth, the middle class wants wealth and respect, but the upper class people want respect because respect is the real wealth of the high people "
02).
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Chanakya Neeti in Hindi |
" दीपक अँधेरे का भक्षण करता हैइसीलिए काला धुआ बनाता हैइसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते हैमाने सात्विक, राजसिक, तामसिकउसी प्रकार के विचार उत्पन्न करते है "
" अपनी संपत्ति केवल पात्र को ही देऔर दूसरो को कभी ना देजो जल बादल को समुद्र देता हैवह बड़ा मीठा होता हैबादल वर्षा करके वह जलपृथ्वी के सभी चल अचल जीवो को देता हैऔर फिर उसे समुद्र को लौटा देता है "
04).
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Chanakya Neeti in Hindi |
" विद्वान् लोग जो तत्त्व को जानने वाले हैउन्होंने कहा है कीमास खाने वालेचांडालो से हजार गुना नीच हैइसलिए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं "
" शरीर पर मालिश करने के बादस्मशान में चिता का धुआ शरीर पर आने के बादसम्भोग करने के बाददाढ़ी बनाने के बादजब तक आदमी नहा ना ले वह चांडाल रहता है "
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Chanakya Neeti in Hindi |
" जल अपच की दवा है
जल चैतन्य निर्माण करता है
यदि उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है
पानी को भोजन के बाद
तुरंत पीना विष पिने के समान है "
" Water is a medicine for indigestion. Water creates Chaitanya, if it is consumed after the food is digested. Drinking water immediately after a meal is like drinking poison "
07).
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Chanakya Neeti in Hindi |
" यदि ज्ञान को उपयोग में ना लाया जाएतो वह खो जाता हैआदमी यदि अज्ञानी है तोखो जाता हैसेनापति के बिना सेना खो जाती हैपति के बिना पत्नी खो जाती है "
" वह आदमी अभागा है जोअपने बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु देखता हैवह भी अभागा है जोअपनी सम्पदा संबंधियों को सौप देता हैवह भी अभागा है जोखाने के लिए दुसरो पर निर्भर है "
" यह बाते बेकार हैवेद मंत्रो का उच्चारण करना लेकिन निहित यज्ञ कर्मो को ना करनायज्ञ करना लेकिनबाद में लोगो को दान दे कर तृप्त ना करनापूर्णता तो भक्ति से ही आती हैभक्ति ही सभी सफलताओ का मूल है "
" एक संयमित मन के समान कोई तप नहींसंतोष के समान कोई सुख नहींलोभ के समान कोई रोग नहींदया के समान कोई गुण नहीं "
" क्रोध साक्षात् यम हैतृष्णा नरक की और ले जाने वाली वैतरणी हैज्ञान कामधेनु हैसंतोष ही तो नंदनवन है "
" नीति की उत्तमता ही व्यक्ति के सौंदर्य का गहना हैउत्तम आचरण से व्यक्ति उत्तरोत्तर ऊँचे लोक में जाता हैसफलता ही विद्या का आभूषण हैउचित विनियोग ही संपत्ति का गहना है "
" निति भ्रष्ट होने से सुन्दरता का नाश होता हैहीन आचरण से अच्छे कुल का नाश होता हैपूर्णता न आने से विद्या का नाश होता हैउचित विनियोग के बिना धन का नाश होता है "
" Being corrupted regularly destroys beauty. Good family is destroyed by inferior behavior. Without perfection, knowledge is destroyed. Money is destroyed without proper investment "
14).
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Chanakya Neeti in Hindi |
" जो जल धरती में समां गया वो शुद्ध हैपरिवार को समर्पित पत्नी शुद्ध हैलोगो का कल्याण करने वाला राजा शुद्ध हैवह ब्राह्मण शुद्ध है जो संतुष्ट है "
" असंतुष्ट ब्राह्मण,संतुष्ट राजा,लज्जा रखने वाली वेश्याकठोर आचरण करने वाली गृहिणीये सभी लोग विनाश को प्राप्त होते है "
" क्या करना उचे कुल का यदि बुद्धिमत्ता ना होएक नीच कुल में उत्पन्न होने वालेविद्वान् व्यक्ति का सम्मान देवता भी करते है "
17).
" विद्वान् व्यक्ति लोगो से सम्मान पाता हैविद्वान् उसकी विद्वत्ता के लिएहर जगह सम्मान पाता हैयह बिलकुल सच है कीविद्या हर जगह सम्मानित है "
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Chanakya Neeti in Hindi |
" जो लोग दिखने में सुन्दर हैजवान हैऊँचे कुल में पैदा हुए हैवो बेकार है यदिउनके पास विद्या नहीं हैवो तो पलाश के फूल के समान हैजो दिखते तो अच्छे है पर महकते नहीं "
" यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है,जो मास खाते हैदारू पीते है,बेवकूफ है,वे सब तो आदमी होते हुए पशु ही है "
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Chanakya Neeti in Hindi |
" उस यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं
जिसके उपरांत लोगो को बड़े पैमाने पर भोजन ना कराया जाए
ऐसा यज्ञ राज्यों को ख़तम कर देता है
यदि पुरोहित यज्ञ में ठीक से उच्चारण ना करे
तो यज्ञ उसे ख़तम कर देता है
और यदि यजमान लोगो को दान एवं भेटवस्तू ना दे तो
वह भी यज्ञ द्वारा ख़तम हो जाता है "
" There is no enemy like that sacrificial fire after which people should not be fed on a large scale. Such a yajna ends the states. If the priest does not pronounce properly in the yajna, then the yajna ends it. And if Yajaman does not give donations and offerings to the people, then that too is finished by the sacrifice "
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